नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि/शाही ईदगाह मस्जिद में वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उसे अंतरिम आदेश के खिलाफ 'श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट' की दाखिल विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने की जरूरत नहीं लगती। सभी मामले हाई कोर्ट स्थानांतरित हो चुके हैं और हाई कोर्ट विभिन्न मुद्दों पर पहली अदालत (यानी ट्रायल कोर्ट) की तरह विचार करेगा और इस मामले पर भी हाई कोर्ट विचार करेगा। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी।
इलाहाबाद HC के फैसले को दी गई थी चुनौती
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाई कोर्ट के 10 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी। इसने मथुरा की अदालत के आदेश को सही ठहराया था। मथुरा की दीवानी अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की पहले शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराए जाने की मांग नही मानी थी और अदालत ने कहा था कि वह पहले मस्जिद पक्ष की ओर से मंदिर पक्ष के मुकदमे पर सवाल उठाने वाली अर्जी पर सुनवाई करेगी। इस आदेश को संगठन ने संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग
कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने मथुरा की सिविल अदालत में मूल वाद दाखिल कर रखा है, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है। कहा गया है कि यह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बनाई गई है। इसके अलावा मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े नौ और मुकदमे लंबित हैं।
सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में किए गए थे ट्रांसफर
गत 26 मई को हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित सभी मूल वाद (ओरिजनल सूट) एक साथ सुनवाई के लिए हाई कोर्ट ट्रांसफर कर लिए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जो मामला लगा था उसमें कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की याचिका जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी।
कोर्ट ने केस पर विचार की अनिच्छा जताते हुए कहा कि यह याचिका सिर्फ अंतरिम आदेश के खिलाफ है। इसमें तो सिर्फ इतना सा मुद्दा है कि पहले सर्वे की अर्जी (सीपीसी के आदेश 26 नियम 9 के तहत लोकल कमिश्नर से सर्वे कराने की मांग। पर सुनवाई की जाए या फिर पहले सीपीसी के आदेश सात नियम 11 की अर्जी (मस्जिद पक्ष की ओर से मंदिर पक्ष के मूल मुकदमे पर सवाल उठाने वाली अर्जी) पर सुनवाई की जाए।
याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने कहा कि हाई कोर्ट का मामला वापस निचली अदालत पर तय करने के लिए छोड़ना वास्तव में हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ के आदेश के खिलाफ है। भाटिया ने कहा कि हाई कोर्ट की ही एक अन्य पीठ ने गत 26 मई को श्रीकृष्ण जन्मस्थान से संबंधित मथुरा की अदालत में लंबित सभी मामले अपने यहां हाई कोर्ट स्थानांतरित कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि जब मेरा मुकदमा हाई कोर्ट ट्रांसफर हो गया है तो ट्रायल कोर्ट उस पर आदेश कैसे दे सकता है। कोर्ट इस बारे में स्थिति स्पष्ट करे।
मस्जिद पक्ष की ओर से पेश वकील ने क्या कहा?
इसी बीच मस्जिद पक्ष की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने सभी मुकदमे हाई कोर्ट स्थानांतरित करने के 26 मई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वह याचिका अभी लंबित है ऐसे में उनके हित प्रभावित नहीं होने चाहिए। कोर्ट ने यह बात आदेश में दर्ज कराई। मस्जिद पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि कोर्ट की टिप्पणियों का यह मतलब नहीं निकलना चाहिए कि हाई कोर्ट सर्वे की अर्जी पर पहले विचार करे। उन्होंने आदेश में ऐसा नहीं कहा है। ये सारी चीजें हाई कोर्ट तय करेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।