इंदौर
आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार सभी खाद्यान्नों की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ताबड़तोड़ कदम उठा रही है। सस्ती दालें बेचने से लेकर आयात पर शुल्क हटाने तक के निर्णय बीते दिनों में ले लिए गए हैं। मटर आयात शुरू करने का निर्णय भी सात दिसंबर को लेते हुए सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसके खिलाफ अब किसान लामबंद हो गए हैं। मटर आयात खोलने के विरोध में सबसे पहले बुंदेलखंड से विरोध शुरू हुआ है।
मध्य प्रदेश-उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में मटर की पैदावार बहुतायत में होती है। बीते साल मटर के दाम 5000-6000 रुपये क्विंटल के आसपास मिले थे। इसके किसान खुश थे और इस वर्ष अच्छी मात्रा में मटर बोया गया है। मटर की नई फसल जनव-फरवरी से आना शुरू हो जाएगी। ऐन सीजन में सरकार द्वारा मटर का आयात खोले जाने के निर्णय पर किसान और व्यापारी सवाल उठा रहे हैं। बुंदेलखंड दाल मिलर्स एसोसिएशन ने मटर आयात खोलने का विरोध किया है। मामले में मिलर्स की ओर से सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखे गए हैं।एसोसिएशन के अनुसार मटर आयात खोलने से किसान और व्यापारी दोनों बर्बाद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। बुंदेलखंड दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सवाल उठाया है कि 7 दिसंबर को सरकार ने आयात खोलने का नोटिफिकेशन जारी किया। रूस, कनाडा,यूक्रेन से जो जहाज आते हैं उन्हें भारत के बंदरगाह तक पहुंचने में 45 से 50 दिन लगते हैं। हैरानी है कि 7 दिसंबर के निर्णय के बाद 20 दिसंबर यानी सिर्फ 13 दिनों में दो लाख क्विंटल मटर से लदा जहाज मुंबई बंदरगाह पहुंच गया। इससे इस पूरी प्रक्रिया में घोटाले व किसी खास को लाभ देने का संदेह पैदा हो रहा है।
आधे हो गए दाम
मिलर्स के अनुसार 10 दिसंबर तक ही मटर के दामों में ढाई हजार प्रति क्विंटल तक की गिरावट हो चुकी है।आयात निर्णय के पहले मटर 7 हजार से 7500 रुपये क्विंटल बिक रहा था। अब आयात खुलने से नई फसल सिर्फ 3000 से 3500 रुपये क्विंटल बिकेगी।जबकि किसानों ने 7500 से 8000 रुपये क्विंटल बीज पर ही खर्च किए हैं। इससे किसान-व्यापारी हतोत्साहित होंगे। ऐसे में मटर आयात पर सरकार से फिर से प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।