नईदिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस साल भी यमुना नदी और जलाशयों में मूर्ति विसर्जन करने पर रोक रहेगी। आने वाले त्योहारी सीजन को देखते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आदेशों की अवहेलना करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। मूर्तियों का निर्माण भी पर्यावरण अनुकूल सामग्री से करने के निर्देश जारी किए गए हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (Delhi Pollution Control Committee, DPCC) ने दिल्ली पुलिस से भी प्रतिबंधों का पालन सुनिश्चित कराने की गुजारिश की है।
इसलिए लिया फैसला
गौरतलब है कि दिल्ली में यमुना नदी में ही मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक, प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक रंगों से यमुना का पानी जहरीला हो जाता है। यही वजह है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इस साल यमुना और जलाशयों में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगा दी। डीपीसीसी ने पिछले साल भी यमुना और जलाशयों में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगाई थी।
मूर्ति निर्माताओं को भी देना होगा ध्यान
यही नहीं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने दिल्ली पुलिस, स्थानीय निकाय और दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग को गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से मूर्तियों के निर्माण और बिक्री से जुड़े प्रतिष्ठानों को प्राकृतिक मिट्टी और प्राकृतिक रूप से क्षरित होने वाली सामग्री से मूर्ति का निर्माण करने को कहा है। मूर्ति निर्माताओं को प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करने को कहा गया है।
इन जगहों पर मूर्तियों का विसर्जन
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और पूजा समितियों के लिए जारी निर्देशों में कहा है कि मूर्तियों का विसर्जन तय जगहों पर ही किया जाना है। मूर्तियों के विसर्जन के लिए स्थानीय निकायों की ओर से जगहें तय की जाएंगी। घर या सोसाइटी में पूजा के बाद मूर्ति का विसर्जन बाल्टी या छोटे टब में करने की सलाह दी गई है। प्राकृतिक सामग्री से बनी मूर्ति के पानी में घुलने के बाद पानी का इस्तेमाल बागबानी आदि में किया जा सकता है।
नियम तोड़ा तो भारी जुर्माना
गाइडलाइंस तोड़ने वालों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने पुलिस आयुक्त से गुजारिश की है कि इस प्रकार की व्यवस्था की जाए, जिससे मूर्तियां लेकर लोग यमुना में ना पहुंचें। स्थानीय निकायों को पूजास्थलों के आसपास अस्थाई छोटे तालाबों का निर्माण करने को भी कहा गया है। गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा के बाद और इससे पहले यमुना नदी के पानी की जांच भी कराने का फैसला लिया गया है।