दिल्लीराज्य

मारक क्षमता बढाने के लिए अत्याधुनिक तोप, मिसाइल, राकेट और ड्रोन से लैस होगी सेना

नई दिल्ली.
चीन और पाकिस्तान के दोहरे मोर्चों पर उत्पन्न चुनौतियों तथा युद्ध में प्रौद्योगिकी की दिनों दिन बढती भूमिका को देखते हुए सेना किसी भी जंग में दुश्मन की कमर तोड़ने वाली आर्टिलरी रेजिमेंट यानी तोपखाना रेजिमेंट की मारक क्षमता बढाने और इसे सटीक तथा विश्वसनीय बनाने के लिए अत्याधुनिक तोप, मिसाइल, राकेट, ड्रोन तथा गोला बारूद से लैस करने में जुटी है।

पिछले करीब डेढ वर्ष से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के विश्लेषण के आधार दुनिया भर की सेनाओं ने इस बात को माना है कि भले ही बीते दशकों में युद्ध का स्वरूप कितना ही बदल गया हो लेकिन किसी भी जंग को जीतने के लिए अत्याधुनिक, सशक्त और नवीनतम प्रौद्योगिकी पर आधारित हथियारों से लैस आर्टिलरी बहुत जरूरी है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने आर्टिलरी रेजिमेंट के महत्व को स्थापित करने के साथ साथ इस बात को भी साबित किया है कि अब सेनाओं को लंबी लड़ाईयों के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए पर्याप्त संसाधन और हथियारों की जरूरत होगी।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए आर्टिलरी रेजिमेंट अपनी मारक क्षमता बढाने तथा हथियारों के जखीरे को पुख्ता करने की समयबद्ध और दीर्घकालिक रणनीति तथा योजना पर काम कर रही है। इस योजना में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए अधिक से अधिक स्वदेशी हथियारों की खरीद पर जोर दिया जा रहा है। योजना के तहत आर्टिलरी रेजिमेंट के लिए 155 एमएम और 52 कैलिबर की 300 स्वदेशी एडवांस टोवड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस),300 माउंटेड गन सिस्टम की खरीद की जा रही है। सेना का अनुमान है कि रक्षा क्षेत्र में स्वेदशीकरण की रफ्तार को देखते हुए अगले डेढ दशक में उसके तोपखाने में सभी हथियार और तोप स्वदेशी होंगे।

सूत्रों ने कहा कि चीन और अन्य बड़े देशों की सेना अब अपनी सभी तोपों को 155 एम एम की तोप में बदल रहे हैं और इसे देखते हुए भारतीय सेना भी 155 एम एम की अधिक से अधिक तोप खरीदने की योजना पर काम कर रही है। इसके अलावा सेना कम समय में सटीक वार करने वाली करीब 100 के-9 वज्र तोप खरीदरने जा रही है। चीन के साथ जारी तनाव को देखते हुए भी इन तोपों की खरीद को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सेना भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए धनुष, सारंग, अल्ट्रा लाइट हाविट्जर तोपों को भी विशेष तरजीह दे रही है। इसके अलावा लंबे समय तक सेना की रीढ रही और कारगिल लड़ाई में अपना दम खम दिखाने वाली बोफोर्स तोप भी अभी सेना की ताकत बढा रही है और सूत्रों का कहना है कि हाल फिलहाल इसे हथियारों के जखीरे से बाहर करने की योजना नहीं है।

सेना का मानना है कि आर्टिलरी रेजिमेंट की मारक क्षमता को बढाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस प्लेटफार्म की खरीद जरूरी है। इसके साथ ही लंबी दूरी तक सटीक मार करने वाले रॉकेट तथा मिसाइलों की संख्या जितनी ज्यादा होगी आर्टिलरी की ताकत उतनी ही बढेगी। चौकस निगरानी और लक्ष्य निर्धारण प्रणाली पर भी लगातार जोर दिया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि पिनाका राकेट की सफलता को देखते हुए इसकी खरीद को आगे बढाया जा रहा है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से इसकी मारक रेंज को 120 से 300 किलोमीटर तक बढाने पर काम करने के लिए कहा गया है। डीआरडीओ से विभिन्न ब्रह्मोस की तरह अन्य मिसाइलों की रेंज बढाने की दिशा में भी संभावनाओं का पता लगाकर उन पर काम करने को कहा गया है। इसके अलावा अत्याधुनिक ड्रोन से भी आर्टिलरी को लैस करने की दिशा में भी समयबद्ध योजना के तहत कार्य किया जा रहा है। सूत्रों ने यह भी बताया कि आर्टिलरी रेजिमेंट में शुरूआत में दस महिला अधिकारियों की भर्ती के बाद अब हर वर्ष इनकी संख्या में बढोतरी की जायेगी और संभवत हर बैच में पांच महिला अधिकारियों को आर्टिलरी रेजिमेंट में शामिल किया जायेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button