भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अदम्य शौर्य और साहस की प्रतिमूर्ति वीरांगना रानी दुर्गावती की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर के राजा पृथ्वी सिंह चंदेल के यहाँ हुआ था। रानी दुर्गावती का राज्य गढ़मंडला था। जिसका केंद्र जबलपुर था। उन्होंने अपने पति गौंड़ राजा दलपत शाह की असमय मृत्यु के बाद अपने पुत्र वीर नारायण के संरक्षक के रूप में स्वयं शासन प्रारंभ किया। मुगल शासक अकबर रानी दुर्गावती के सुखी और सम्पन्न राज्य को जीतना चाहता था। अकबर ने आसफ खां के नेतृत्व में गोण्डवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया। युद्ध में कई मुगल सैनिक मारे गये, लेकिन रानी की भी अपार क्षति हुई। रानी ने अंत समय तक भीषण संघर्ष किया। अंतत: रानी अपनी कटार स्वयं ही सीने में भोंककर 24 जून 1564 को आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गयीं।
रानी की समाधि पर हर बरस उनकी शहादत को नमन करने वालों का तांता लगता है। रानी के सम्मान में 1983 में जबलपुर विश्वविद्यालय का नाम रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के नाम पर रखा गया। भारत सरकार ने 24 जून 1988 को रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर एक डाक टिकट जारी किया।