रायपुर
छत्तीसगढ़ के जितने भी कलाकार हैं चाहे वे थियेटर आर्टिस्ट हो या फिल्मों में काम करते हो उनमें कला की कोई कमी नहीं है लेकिन जब भी कोई बड़ा समारोह व सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन होता है तो छालीवुड के कलाकारों को वह तवज्जो नहीं मिलता है तो बाहरी कलाकारों को दिया जाता है। इसके साथ ही यहां पर सिनेमाघरों की काफी कमी है इसको ध्यान में रखते हुए 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर एक मिनी थियेटर खोलने की अनुमति राज्य सरकार अगर दे देती है तो छत्तीसगढ़ी में बनने वाली जितने भी फिल्में में वे अपनी लागत वसूल कर सकेंगे और इसके साथ सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी। उक्त बातें शक्रवार को रिलीज हो रही छालीवुड फिल्म देख झन फंस जाबे के निर्देशक व फाईटर मास्टर बीरबल पानीग्राही, अभिनेता संदीप त्रिपाठी, काजल पांडेय व संध्या वर्मा ने कहीं।
बीरबल पानीग्राही कहा कि वे इस फिल्म को अभी रिलीज नहीं करने वाले थे लेकिन कलाकारों की जिद के आगे वे हार गए क्योंकि उनका कहना था कि अक्टूबर माह में आचार सहिता लग जाएगा और वे सभी कलाकार राजनीतिक पार्टियों के प्रचार-प्रसार में जुट जाएंगे। वैसे भी यह समय फिल्म लगाने का सही समय नहीं है क्योंकि एक तरफ बारिश होते रहती है और दूसरा कारण तीज और त्यौहार। अक्टूबर से जनवरी के बीच फिल्मों को देखने ज्यादा पसंद करते हैं लोग। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छालीवुड में फिल्म इसलिए नहीं चल पा रही है क्योंकि यहां पर सिनेमाघरों की बहुत कमी है और मल्टीप्लेक्सों में फिल्म लगाने के लिए निमार्ता के पास इतना बजट नहीं होता कि वह उसे वहन कर सकें।
हम सभी कलाकार छालीवुड इंडस्ट्रीज की तरफ से राज्य सरकार से मांग करते है कि वे प्रत्येक जिले में 10 से 15 किलोमीटर की दूरी एक मिनी थियेटर खोलने की अनुमति दे दी ताकि गांव के लोग उसे देखने ज्यादा से ज्यादा पहुंच सकें। वर्तमान हो यह रहा है कि राज्य में कितनी के सिनेमाघर है और अधिक पैसा खर्च कर वे फिल्में देखना नहीं चाहते है अगर मिनी थियेटर गांव के आसपास खुल जाएगा तो वे 20 रुपये खर्च आसानी से फिल्में देखने पहुंचे और एक दिन में 10 हजार रुपये की कमाई होती है तो 5 हजार रुपये सीधे राज्य सरकार के राजस्व में जाएगा और 5 हजार रुपये निमार्ता को मिलेगा। इसके साथ ही छालीवुड की जितनी भी फिल्में लग रही है या लगने वाली है उसे टैक्स फ्री किया जाए।
बीरबल पानीग्राही ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कलाकारों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है बस उन्हें अच्छा मार्गदर्शन और काम नहीं मिल रहा है। हम देखते आ रहे है कि अगर कोई बड़ा समारोह या सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन राज्य में कहीं पर भी होता है तो बाहरी कलाकारों को तवज्जों दिया जाता है, उन्हें बड़े होटलों में रुकने के साथ ही बड़ी रकम भी दी जाती है। अगर छालीवुड कलाकारों की बात करें तो उन्हें इन आयोजन में कार्यक्रम देने के लिए 50 हजार से 1 लाख रुपये दिया जाता है और यह कहते है यहां आप अपने खर्च से पहुंचे और बाहरी कलाकारों को वे महंगी गाडि?ों में आयोजन स्थल तक लाने और ले जाने तक की बीड़ा उठाते हैं।
काजल पांडेय ने कहा कि वे इस फिल्म में एक फाइटर की भूमिका निभा रही है और इस काम को करने में उन्हें काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। एक दिन शूटिंग के दौरान एक सीन के लिए जब एक लड़का ट्रैक्टर चला रहा था और मैं उसमें बैठी थी और अचानक से ट्रैक्टर एक तरफ हो गया और गिर गई, इसी दौरान उनके एक हाथ से काफी खून भी निकल आया था। फिल्म 2 घंटे 37 मिनट की है और इसमें 6 गाने है जिनमें 5 गाने रिलीज हो चुकी है और एक गाना आज रिलीज होने वाला है। राजधानी रायपुर के प्रभात टॉकीज में कल 12 बजे का प्रीमियर शो रखा गया है।