कुछ लोगों को मटन खाना पसंद होता है तो कुछ चिकन के शौकीन होते हैं। दोनों मांसाहारी खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व होते हैं। यह मसल्स, नसें, दिमाग, दिल को मजबूत बना सकते हैं। नॉन वेजिटेरियन फूड्स काफी हेल्दी साबित होते हैं। मगर कई लोगों को लगता है कि आयुर्वेद में इन्हें खाने से मना की गई है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. नितिका कोहली का कहना है कि आयुर्वेद नॉन वेजिटेरियन फूड खाने से मना नहीं करता है। बस यह आपको कुछ नियमों को फॉलो करने बारे में बताता है। यह बताता है कि कब कौन सा नॉन वेज फूड खा सकते हैं। मांसाहार खाने के यह नियम आपके शरीर को फिट रख सकते हैं।
नॉन वेज खाने से मना नहीं करता आयुर्वेद
आयुर्वेद में नॉन वेज खाने के नियम
डॉ. नितिका कोहली ने बताया कि आयुर्वेद किसी को मांसाहार का सेवन करने से नहीं रोकता। आयुर्वेद में बहुत सारे नॉन वेजिटेरियन फूड्स का जिक्र मिलता है। यह बताता है कि किस बीमारी में कौन सा मांस खाना चाहिए और कौन सा नहीं खाना चाहिए। इसे किसी दवा की तरह खाने के लिए कहा गया है।
ये लोग मटन नहीं, चिकन खाएं
डॉक्टर का कहना है कि नॉन वेज फूड्स को शरीर की प्रकृति के मुताबिक खाना चाहिए। अगर आपका कफ दोष भारी है तो आपको मटन नहीं खाना चाहिए। ऐसे लोग चिकन खा सकते हैं।
पित्त दोष में नहीं लें मांसाहार
जब एक्सपर्ट्स से पूछा गया कि क्या पित्त दोष में मटन खा सकते हैं? तो उन्होंने कहा कि जिसका पित्त दोष भारी हो, उसे कोई भी मांसाहारी खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए। ये फूड्स शरीर में समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
वात दोष में नॉन वेज फूड
वात दोष में पाचन की समस्याएं अक्सर रहती हैं। ऐसे लोगों को गैस, अपच, अफारा, एसिडिटी की शिकायत रहती है। इसलिए इन्हें अपने मुताबिक मसाले हल्के रखने चाहिए। पेट की क्षमता के मुताबिक फूड्स और मात्रा का चुनाव करें। वात में आईबीएस के लक्षण दिखते हैं, इसलिए शरीर को समझकर ही कुछ खाएं।
कुछ हेल्दी नॉन वेजिटेरिन फूड्स
चिकन
अंडा
फैटी मछली
जानवरों की कलेजी