जकार्ता.
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से 143 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में शनिवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी गई। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने इसकी पुष्टि की। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के मुताबिक, जकार्ता और पास के बाडुंग में रात 9 बजकर 59 मिनट पर 6.1 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया।
बाडुंग निवासी इमान कृष्णावन ने एएफपी को बताया, मैं अपनी पत्नी और बच्चों को घर से बाहर निकालने के लिए चिल्लाया। आमतौर पर भूकंप करीब पांच सेकंड रहता था, लेकिन इस बार 10-15 सेकंड तक था। द्वीप राष्ट्र इंडोनेशिया को 'रिंग ऑफ फायर' कहा जाता है। धरती के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से होने के कारण यहां लगातार भूकंप आते रहते हैं। यह ऐसी जगह पर मौजूद है, जहां धरती की कई टेक्टोनिक प्लेट टकराती हैं। जनवरी 2021 में सुलावेसी द्वीप समहू में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसने 100 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे। इसी तरह 2018 में सुलावेसी के पालू में 7.5 तीव्रता का भूकंप आया था और उसके बाद सुनामी आई थी, जिसमें 2,200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। इससे पहले 2004 में इंडोनेशिया के आचे प्रांत में 9.1 तीव्रता का भूकंप आया था और 1,70,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
जापान के कई इलाकों में भूकंप के झटके
इससे पहले शनिवार की दोपहर जापान के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। यूएसजीएस ने बताया कि देश के बोनिन द्वीप समूह में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल 6.5 मापी गई। भूकंप का केंद्र 503.2 किलोमीटर की गहराई में रहा। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का केंद्र द्वीपों के पश्चिमी तट पर, टोक्यो से लगभग 875 किमी दक्षिण में पाया गया। मध्य टोक्यो में भी हल्के झटके महसूस किये गये। खबरों के मुताबिक फिलहाल सुनामी की कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है।
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
क्या है मापने का पैमाना?
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।