मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल डी पात्रा ने कहा है कि भारत जनसांख्यिकीय लाभ और वित्तीय क्षेत्र के विकास की गति के कारण 2027 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा। उन्होंने कहा कि बाजार विनिमय दर के आधार पर भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। नेशनल बैंक ऑफ कंबोडिया द्वारा आयोजित 16वें सीसेन-बीआईएस उच्च-स्तरीय सेमिनार में अपने संबोधन में पात्रा ने कहा कि व्यापक रूप से यह माना जाता है कि ज्यादा नहीं तो अगले दो दशक के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र एशिया की ओर स्थानांतरित हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि एशिया और प्रशांत के लिए आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष) के क्षेत्रीय आर्थिक परिदृश्य से संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र 2023 में ही वैश्विक वृद्धि में लगभग दो-तिहाई योगदान देगा और भारत 2023 और 2024 में दुनिया में उत्पादन वृद्धि में छठा हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि बाजार विनिमय दरों के संदर्भ में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और क्रय शक्ति समानता के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
डिप्टी गवर्नर ने कहा, “हमारा आकलन है कि 2027 तक भारत पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा और बाजार विनिमय दर के हिसाब से भी दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। इस परिवर्तन में एक प्रमुख चालक जनसांख्यिकीय लाभांश रहने की संभावना है।'' उन्होंने कहा, “हम 1.4 अरब की आबादी के साथ दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले और सबसे युवा देश हैं।''