छत्तीसगढ़

मंगनी से लेकर विदाई तक की झलकियां दिखी आरती सिंह के लोकचंदा गीत में

रायगढ़

चक्रधर समारोह की द्वितीय संगीत संध्या दर्शकों के लिए यादगार रहा। स्थानीय कलाकारों एवं छत्तीसगढ़ राज्य से आये अन्य कलाकारों ने अपनी बेहतरीन फारफार्मेंस ने दर्शकों को देर रात तक आॅडिटोरियम में बांधे रखा। सभी कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी।

सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत में मो.अयान के ग्रुप ने पियानों में बेहद ही सुरीली प्रस्तुति दी। पहला नशा, क्योंकि तुम ही हो, मुझ में कहीं जैसे गीतों पर पियानों के साथ क्लैप बॉक्स, की बोर्ड, मेलोडिका, तबले, आॅक्टाकार्ड, जम्बे पर संगत कर कलाकारों की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की इस कड़ी में लखनऊ घराने की कत्थक नृत्यांगना सुश्री नेहा बनर्जी ने कत्थक नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी। उन्होंने प्रथम चरण में शिव वंदना और द्वितीय चरण में तीन ताल में 2 तोड़े, तृतीय चरण में तत्कार की प्रस्तुति, चतुर्थ चरण में झपताल की प्रस्तुति, पंचम चरण में तराना और छटवे और अंतिम चरण में श्री कृष्ण लीला पर आधारित 'ठुमरी' की सुंदर प्रस्तुति दी। रायपुर की सुश्री आनंदिता तिवारी ने भी कथक नृत्य भी प्रस्तुति दी। इसी के साथ ही रायपुर की सुश्री ऐश्वर्या पंडित की गायन ने दर्शकों का मनमोह लिया। उनकी पहली पेशकश आज जाने की जिद न करो… की गायन से दर्शकों ने खुब तालियां बजायी।

रायगढ़ के कु.श्रुतिदास की ओडिसी नृत्य की भी शानदार प्रस्तुति रही।
संगीत संध्या की अगली कड़ी में रायगढ़ घराने की सुश्री ज्योतिश्री बोहिदार ने तीन ताल में शिव स्तुति के साथ राम भजन के भाव में कथक नृत्य की मनमोहिनी प्रस्तुति दी। उनके साथ ओजस्विता, सृष्टि गर्ग, दक्षता साव, गुनगुन रावत रही और पंडत पर पं.सुनील वैष्णव, बासंती वैष्णव, तबले पर दीपक साहू, गायन पर लाला राम लुनिया, बांसुरी पर कुशल दास महंत एवं सारंगी पर साफिक हुसैन ने संगत किया। ज्योतिश्री बोहिदार रायगढ़ दरबार के चार स्तम्भ कलाकार में से पं.फिरतु महाराज की पौत्री एवं सुप्रसिद्ध नृत्यांगना श्रीमती बासंती वैष्णव की पुत्री है। ज्योतिश्री कथक नृत्य में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हुई है। इसी प्रकार रायगढ़ घराने की सुश्री घनिष्ठा दुबे ने भी कथक नृत्य में बेजोड़ प्रस्तुति दी।

बिहाव गीत में सुश्री आरती सिंह ने दी शानदार प्रस्तुति
रायपुर की सुश्री आरती सिंह के लोक संगीत (लोकचंदा)की छत्तीसगढ़ी गीत बर तरी खड़े हे बरतिया.. दाई मोर रोवत हे… गीत से दर्शक भाव-विभोर हो गए। उनकी बिहाव गीत में मंगनी से लेकर बिदाई तक की झलकियां दिखी। इसी के साथ उन्होंने जय हो मोर छत्तीसगढिय़ा मैया … में बेहतरीन प्रस्तुति दी। उनके गानों के साथ संगत कलाकारों ने नृत्य की भी प्रस्तुति दी। साथ ही उन्होंने गौरा-गौरी पूजा में मोर ठाकुर देवता को सुमिरन की और बुढ़ी माई की अराधना में जसगीत भी गाकर सुनाया दर्शकों को।  

राजा चक्रधर सिंह की कहानी सुनी दर्शकों ने लोक रंग नाचा के माध्यम से
रायगढ़ के श्री हुतेन्द्र ईश्वर शर्मा ने लोक रंग नाचा की शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने भगवान श्री गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरूआत की। तत्पश्चात उन्होंने राजा चक्रधर सिंह की कहानी को गायन के माध्यम सुनाया। उन्होंने लोक रंग नाचा के माध्यम से एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी और दर्शकों की खुब तालियां बटोरी।

शहीदों के बलिदानों को याद दिलाया मो.रौशन अली के देशभक्ति गीतों ने
रायगढ़ के मो.रौशन अली ने देशभक्ति एवं भजन गायन गाया। उनकी देशभक्ति गीतों ने बैठे दर्शकों को शहीदों के बलिदानों को याद दिलाया। उनकी पहली पेशकश संदेशे आते है हमें तड़पाते है… चिट्टी आती है… के देशभक्ति गीत से दर्शकों के आंखे नम हो गई। साथ ही उन्होंने भजन गायन में भी बेहतरीन प्रस्तुति दी।

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