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गर्भावस्था में डेंगू होने पर सिर्फ मां नहीं, अजन्मे बच्चे को भी हो सकते हैं ये खतरे

 यूं तो बरसात के मौसम में कई तरह की बीमारियां हमला करती हैं लेकिन डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां बहुत तेजी से फैलती हैं. पिछले कुछ दशकों में मानसून के मौसम में डेंगू का कहर बुरी तरह फैलता है. यूं तो डेंगू हर किसी के लिए खतरनाक है लेकिन बात जब प्रेग्नेंट महिलाओं की आती है तो इसका रिस्क ज्यादा हो जाता है.

हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान डेंगू का संक्रमण होने पर मां के साथ साथ अजन्मे बच्चे की सेहत के लिए भी कई तरह के खतरे पैदा हो जाते हैं. चलिए जानते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान डेंगू का बुखार होने पर अजन्मे बच्चे को किस तरह के रिस्क हो सकते हैं.

प्रेगनेंसी में डेंगू होने पर अजन्मे बच्चे का वजन हो जाता है कम  
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर किसी महिला को प्रेगनेंसी के दौरान डेंगू संक्रमण होता है तो उसके साथ साथ पेट में पल रहे बच्चे की ग्रोथ पर भी असर पड़ता है. डेंगू होने पर मां के पेट में पल रहे बच्चे को लो बर्थ रेट का भी सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ साथ डेंगू होने पर अजन्मे बच्चे को  हेमरेज यानी दिमाग में ब्लीडिंग का भी रिस्क बढ़ जाता है.

अगर मां को डेंगू हो गया है तो आशंका है कि बच्चे की प्रीमैच्योर डिलीवरी हो जाए. इसके अलावा डेंगू अगर बिगड़ जाए तो पहली तिमाही में गर्भपात का खतरा भी पैदा हो जाता है. आपको बता दें कि मां को डेंगू होने पर बच्चे में वर्टिकल ट्रांसमिशन जैसे fluctuate के भी रिस्क काफी बढ़ जाते हैं.

मां की कमजोर इम्यूनिटी बढ़ा देती है रिस्क  
दरअसल प्रेगनेंसी के दौरान मां की इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है. ऐसे में डेंगू का संक्रमण होने पर उसके शरीर के साथ साथ डेंगू अजन्मे बच्चे की सेहत पर भी असर डाल सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि हालांकि ऐसा कहना जल्दबाजी होगी कि डेंगू बुखार होने पर हर बार गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन इस बीमारी का असर भ्रूण पर तब जरूर पड़ता है जब मां पहली तिमाही से गुजर रही होती है.

ऐसे में होने वाली मां को अपने बचाव के लिए हर संभव उपाय करना चाहिए. पिछली कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि मां की तरफ से बच्चे के भीतर गई कोई भी बीमारी उसके विकास में बाधा डालती है. ये बच्चे के डेवलपमेंट को रोकती है और उसके वजन को भी नहीं बढ़ने देती. इसके साथ साथ प्रीमैच्योर डिलीवरी और स्टिलबर्थ के भी रिस्क बढ़ जाते हैं. इंफेक्शन से जूझ रही मां के साइकोलॉजिकल प्रेशर का भी बच्चे पर असर पड़ता है. ऐसे में मां को चाहिए कि वो स्वस्थ भोजन करें, अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रखें और मच्छरों से बचाव के सभी उपाय अपनाएं.

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