12 जनवरी 1863 को कोलकाता में स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। वह बचपन से ही बहुत बुद्धिमान छात्र थे। उन्होंने बहुत कम उम्र में अध्यात्म का मार्ग अपना लिया था और धर्म, ज्ञान और योग की शिक्षा ली। उन्होंने अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत के साथ कई अन्य भाषाओं को सीखा। पहले उनका नाम नरेंद्रनाथ था, लेकिन अध्यात्म का मार्ग अपनाने के बाद उन्हें स्वामी विवेकानंद के नाम से जाना जाने लगा। तो चलिए आज स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर हम आपको बताते हैं उनके दस प्रेरणा स्रोत कोर्ट्स, जो हर युवा की जिंदगी को चरितार्थ कर सकते हैं…
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है- स्वामी विवेकानंद
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हांथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है- स्वामी विवेकानंद
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए-आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं- स्वामी विवेकानंद
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ- स्वामी विवेकानंद
कभी यह मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ भी करना असंभव है। खुद को निर्बल मानना ही सबसे बड़ा पाप है याद रखिए की आत्मा के लिए इस दुनिया में सब कुछ पाना संभव है- स्वामी विवेकानंद
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो- स्वामी विवेकानंद
जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं- स्वामी विवेकानंद
किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं तो जरुर बढाएं अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिए, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये- स्वामी विवेकानंद
यह भगवान से प्रेम का बंधन वास्तव में ऐसा है जो आत्मा को बांधता नहीं है बल्कि प्रभावी ढंग से उसके सारे बंधन तोड़ देता है- स्वामी विवेकानंद
जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे- स्वामी विवेकानंद