राजनीतिक

मध्य प्रदेश में चुनावी रणनीति बदलने का दबाव बढ़ा- BJP के इस दांव में फंसी कांग्रेस?

नई दिल्ली
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 की जंग अब रोचक हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस पर रणनीति में बदलाव करने का दबाव बढ़ा दिया है। मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। रणनीतिकार मानते हैं कि केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के चुनाव मैदान में उतरने से राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। ऐसे में कांग्रेस को भाजपा को मात देने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। विधानसभा चुनाव में भाजपा के इन दिग्गजों को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस को बड़े चेहरों की दरकार है, लेकिन पार्टी की मुश्किल यह है कि उसके पास कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं, जिसे वह चुनाव में उतार सके। सुरेश पचौरी, दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा का चुनाव लड़ना मुश्किल है। ऐसे में पार्टी सिर्फ अजय सिंह और अरुण यादव पर ही दांव खेल सकती है।

समीकरण बदल गए : भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को उम्मीदवार बनाने से कई क्षेत्रों में समीकरण बदल गए हैं। मसलन, इंदौर से भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय को उम्मीदवार बनाया है। इस क्षेत्र से कांग्रेस के अजय शुक्ला विधायक हैं और उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही थी। इसी तरह सतना में गणेश सिंह और विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा के बीच मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती महाकौशल में खड़ी हुई है। वर्ष 2018 के चुनाव में महाकौशल की 38 में 24 सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। जबकि 13 सीट भाजपा को मिली थी। इस बार भाजपा ने राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। इससे महाकौशल क्षेत्र में कांग्रेस के लिए लड़ाई मुश्किल हो सकती है।

वर्ष 2018 के चुनाव में मालवा निमाड़ में भी कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक रहा था। पार्टी ने 66 में से 35 सीट जीती थी, जबकि 28 सीट भाजपा को मिली थी। पर वर्ष 2020 में कई विधायकों के पाला बदलने से इस क्षेत्र में भाजपा का पलड़ा भारी हुआ है। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ने इस क्षेत्र में काफी काम किया है। चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे।

प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद : ग्वालियर चंबल में भी कांग्रेस ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। क्षेत्र की 34 में 26 सीट पर जीत हासिल की थी। जबकि सात सीट भाजपा और एक सीट बसपा को मिली थी। इस बार पार्टी इस क्षेत्र में क्लीन स्वीप करेगी। बुंदेलखंड में भी कांग्रेस को अपना प्रदर्शन सुधरने की उम्मीद है। पिछले चुनाव में इस क्षेत्र की 26 में 18 सीट पर भाजपा और सात पर कांग्रेस जीती थी।

 

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