देश

बीच में नियमों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती..; सरकार नौकरी भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को घोषणा की कि सरकारी नौकरियों में सेलेक्शन को कंट्रोल करने वाले नियमों को भर्ती प्रक्रिया के बीच में या उसके शुरू होने के बाद नहीं बदला जा सकता. यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया जिसमें जस्टिस ऋषिकेश रॉय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा शामिल थे.

पीठ ने कहा कि भर्ती के लिए रूल्स ऑफ द गेम को चयन प्रक्रिया के बीच में नहीं बदला जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भर्ती करने वाली संस्था अलग-अलग चरणों के लिए अलग-अलग मानक तय कर सकती है, लेकिन वह चरण के खत्म होने के बाद मानदंडों को बदल नहीं सकती.

पीठ ने कहा कि आवेदन आमंत्रित करने और रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी. अगर मौजूदा नियमों या विज्ञापन के तहत कोई बदलाव स्वीकार्य है, तो उस बदलाव को संविधान के अनुच्छेद 14 की आवश्यकता को पूरा करना होगा और गैर-मनमानापन की कसौटी पर खरा उतरना होगा.

'प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट और गैर-मनमानी होनी चाहिए'
पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा नियमों के अधीन भर्ती निकाय भर्ती प्रक्रिया को तार्किक निष्कर्ष पर लाने के लिए उचित प्रक्रिया तैयार कर सकते हैं. पीठ ने कहा कि प्रक्रिया के लिए अपनाई गई प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट और गैर-मनमानी होनी चाहिए. विस्तृत निर्णय बाद में अपलोड किया जाएगा.

पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा था केस
इससे पहले तेज प्रकाश पाठक और अन्य बनाम राजस्थान हाई कोर्ट और अन्य (2013) मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया था. तेज प्रकाश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने के मंजूश्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य (2008) के पहले के फैसले की सत्यता पर संदेह जताया था.

2008 के फैसले में कोर्ट ने कहा था कि चयन मानदंड को प्रक्रिया के दौरान बीच में नहीं बदला जा सकता. यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button