ग्वालियरमध्य प्रदेश

अब कॉलेज में एक और भाषा सीखेंगे छात्र, परिवार और दोस्त भी होंगे शामिल, मिलेगा माइक्रो-प्रमाणपत्र

ग्वालियर
 देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एक रोचक पहल शुरू की जा रही है। भारतीय भाषा समिति ने 'एक और भारतीय भाषा सीखें' पहल के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें सभी छात्र अब कम से कम तीन भाषाओं का ज्ञान लेंगे। यानि छात्रों को अपनी मातृभाषा के अलावा कम से कम एक स्थानीय और एक अतिरिक्त भारतीय भाषा सिखाना है।

यह आदेश यूजीसी के द्वारा जारी किया गया है, इसमें खास बात यह है कि इसमें सिर्फ छात्र के लिए नहीं बल्कि उनके मित्र और स्वजन भी शामिल हो सकेंगे। इसके लिए शिक्षार्थियों को नामांकन करवाना होगा। पढ़ाई माध्यम ऑनलाइन भी होगा, साथ ही इसमें प्रवेश और निकास दोनों ही सुलभ होंगे। बता दें कि कोर्स पूरा करने वालों को माइक्रो प्रमाणपत्र और डिजिटल बैज भी दिया जाएगा।

पाठ्यक्रम में खास

    उच्च शिक्षण संस्थान कम से कम तीन भारतीय भाषाओं (एक स्थानीय भाषा और दो अन्य 22 अनुसूचित भाषाओं में से) में योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रम (एईसी), क्रेडिट पाठ्यक्रम, या ऑडिट पाठ्यक्रम प्रदान करेंगे।

    पाठ्यक्रम को बेसिक, इंटरमीडिएट और एडवांस जैसे तीन स्तरों में विभाजित किया जाएगा, जिसमें आसान प्रवेश और निकास की सुविधा होगी। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी स्तर पर प्रवेश कर सकते हैं और बाहर निकल सकते हैं।
    इन स्तरों को नए क्रेडिट ढांचे के तहत तीन माइनर के रूप में पेश किया जा सकता है, जिससे आपकी प्रतिलिपि (ट्रांस्क्रिप्ट) पर ये क्रेडिट दर्ज होंगे और क्रेडिट पोर्टेबिलिटी की अनुमति मिलेगी।

    इन पाठ्यक्रमों का मुख्य फोकस बोलने, पढ़ने और लिखने में प्रभावी संचार कौशल विकसित करना होगा।

दोस्त, परिवार, रिश्तेदार भी होंगे शामिल

इस प्रक्रिया में सभी स्नातक, स्नातकोत्तर और डाक्टरेट छात्र इस पहल के मुख्य लाभार्थी होंगे। इसके अलावा छात्रों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे अपने मित्रों, अभिभावकों और रिश्तेदारों को भी इन भाषा पाठ्यक्रमों में शामिल होने के लिए आमंत्रित करें। स्थानीय समुदाय के इच्छुक व्यक्ति भी इन पाठ्यक्रमों में नामांकन करा सकते हैं। बता दें कि यदि पाठ्यक्रम ऑनलाइन पेश किए जाते हैं, तो ये दुनियाभर के शिक्षार्थियों के लिए खुले होंगे।

माइक्रो प्रमाण-पत्र मिलेंगे

इस प्रक्रिया में पाठ्यक्रम पूरा करने वाले शिक्षार्थियों (छात्र और उनके स्वजन व मित्र) को माइक्रो-प्रमाणपत्र मिलेंगे। जो लोग नई भारतीय भाषाएं सीखते हैं, उन्हें भाषा बंधु, भाषा मित्र, लिपि गौरव, भाषादूत जैसी मानद उपाधियां प्रदान की जा सकती हैं।

नई भाषा सीखने वालों को उस राज्य की सांस्कृतिक और शैक्षिक 'सम्मान यात्रा' कराई जाएगी, जहां वह भाषा बोली जाती है। इसके अलावा अतिरिक्त भाषा सीखने वाले छात्रों को अंतर-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय दौरों में प्राथमिकता दी जाएगी।

बता दें कि हर साल 11 दिसंबर को ऐसे योग्य विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को भारतीय भाषा उत्सव के अवसर पर सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा छात्रों को 'प्रमाणित भाषा दूत-2025' जैसे डिजिटल बैज जारी किए जाएंगे, जिन्हें वे अपने डिजिटल प्रोफाइल और सोशल मीडिया पर प्रदर्शित कर सकते हैं।

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