नई दिल्ली
सेंट्रल अमेरिकी देश अल साल्वाडोर का नाम कुछ साल पहले उस समय सुर्खियों में आया था जब उसने बिटकॉइन पर बड़ा फैसला लिया था। अल साल्वाडोर बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में स्वीकार करने वाला पहला देश बना था। अब यह देश एक बार फिर सुर्खियों में है। यह देश भारत और अफ्रीका से आने वाले यात्रियों से 1000 डॉलर यानी करीब 83,240 रुपये की फीस वसूल रहा है। वैट लगाकर यह राशि 1130 डॉलर रुपये बैठती है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि बड़ी संख्या में लोग अमेरिका पलायन करने के लिए अल साल्वाडोर का इस्तेमाल करते हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए अल साल्वाडोर ने यह कदम उठाया है।
अल साल्वाडोर की पोर्ट अथॉरिटी ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा कि भारत या अफ्रीका के पासपोर्ट पर आ रहे लोगों से फीस वसूली जाएगी। यह फीस भारत के साथ-साथ अफ्रीका के 50 से भी अधिक देशों के लोगों पर लागू होगी। इस फीस से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल देश के प्रमुख एयरपोर्ट में सुधार करने पर खर्च की जाएगी। अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले ने इसी हफ्ते अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री ब्रायन निकोल्स से मुलाकात की थी। इसमें माइग्रेशन पर भी चर्चा हुई थी।
कब से लागू हुई फीस
अमेरिका के Customs and Border Patrol विभाग के मुताबिक पिछले फाइनेंशियल ईयर में उसका सामना अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहे 32 लाख लोगों से हुआ था। अफ्रीका और कई अन्य देशों के प्रवासी अमेरिका जाने के लिए सेंट्रल अमेरिका के देशों का इस्तेमाल करते हैं। वैट मिलाकर अब इन लोगों को 1130 डॉलर चुकाने होंगे। नई फीस 23 अक्टूबर से लागू हो गई है। एयरलाइन कंपनियों को अफ्रीका के 57 देशों और भारत से आने वाले पैसेंजर्स की लिस्ट रोज अधिकारियों को देनी होगी। कोलंबिया की एयरलाइन Avianca ने यह प्रोसेस शुरू कर दी है।